शनिवार, 27 जनवरी 2024

७५४. हवा से विनती

 


हवा के झोंके, चले आओ,

उड़ा लाओ बादल बरसनेवाले,

यहाँ सब बैठे हैं इंतज़ार में. 


सूख गई हैं सारी नदियाँ,

पत्थर-से हो गए हैं उनके तल,

सूखे पत्ते छाती से चिपकाए 

निढाल से खड़े हैं पेड़. 


मारे प्यास के अधमरी,

पस्त सी पड़ी है ज़मीन,

जी-भर भीगने की आस में 

बड़े हो रहे हैं नन्हे-मुन्ने।


भर भी दो नदियाँ -बावड़ियाँ,

सींच भी दो प्यासे पेड़ों को,

पिला भी दो जी-भर के पानी, 

मिटा दो ज़मीन की प्यास,

महसूस करने दो मासूमों को 

नन्ही-नन्ही बारिश की बूँदें

अपनी मुलायम हथेलियों पर. 


अब तो रहम खाओ,

बादलों को साथ लेकर 

हवा के झोंके, चले आओ. 



रविवार, 21 जनवरी 2024

७५३.नए साल का कैलेंडर

 


मत चिपकाओ मेरे कमरे की दीवार पर 

नए साल का कैलेंडर. 


इसमें वही तारीख़ें हैं,

वही सप्ताह, वही दिन हैं,

यहाँ तक कि काग़ज़ भी वही,

स्याही भी वही है. 


ये चेहरे, जिन्हें तुम नया बताते हो,

पुराने कैलेंडरों में भी थे,

बस इनकी मूँछें बढ़ गई हैं 

या इनका हेयर-स्टाइल बदल गया है,

इनकी आँखों में वही अजनबीपन है,

इनके होंठों पर वही बनावटी मुस्कान है. 


किसी नए साल की तरह पुराना है 

तुम्हारा यह नया कैलेंडर,

इसे मेरे कमरे की दीवार पर मत चिपकाओ.



शनिवार, 13 जनवरी 2024

७५२.धूल

 


मैं उतना बदसूरत नहीं, 

जितना दिखता हूँ,

मेरा चेहरा वैसा नहीं,

जैसा दिखता है. 


मेरे चेहरे पर धूल है,

जो किसी ने उड़ाई थी,

अब ऐसे चिपक गई है 

कि उतरती ही नहीं. 


उड़ानेवाला नहीं जानता 

कि किस-किस पर गिरेगी,

कहाँ-कहाँ गिरेगी,

किन चेहरों को ढकेगी

उसकी उड़ाई धूल. 


वह तो यह भी नहीं जानता 

कि धूल उड़ेगी,तो चिपकेगी 

उसके अपने चेहरे से भी. 



रविवार, 7 जनवरी 2024

७५१. प्यार और पसंद



तुम्हारे हाव-भाव,

तौर-तरीक़े, चाल-ढाल 

मुझे बिल्कुल पसंद नहीं,

मैं आँखें बंद करके सोचूँ,

तो भी कुछ ऐसा नहीं दिखता,

जो मैं पसंद करूँ तुममें,

पर न जाने क्यों,

तुम्हारा दुःख मुझसे 

सहा नहीं जाता,

तुम्हारी ज़रा-सी तकलीफ़ 

मुझे बेचैन कर देती है,

न जाने क्यों मुझे हर वक़्त 

तुम्हारा ही ख़्याल रहता है. 

कभी-कभी मैं सोचता हूँ 

कि काश मैं तुम्हें प्यार नहीं करता,

जैसे कि मैं तुम्हें पसंद नहीं करता. 

 

बुधवार, 3 जनवरी 2024

७५०.आख़िरी समय

 


इतनी जल्दी भी क्या है?

एक मेल भेज दूँ,

एक ट्वीट कर लूँ,

एक पोस्ट लिख लूँ,

स्टेटस अपडेट कर लूँ,

तो चलूँ. 


यह सब कर लूँ,

फिर भी मोहलत मिल जाय,

तो कुछ ऐसा भी कर लूँ,

जो कभी कर नहीं पाया. 


थोड़ा और समय मिल जाय,

तो एक नेक काम कर लूँ,

बस फिर चलूँ.