शनिवार, 13 जनवरी 2024

७५२.धूल

 


मैं उतना बदसूरत नहीं, 

जितना दिखता हूँ,

मेरा चेहरा वैसा नहीं,

जैसा दिखता है. 


मेरे चेहरे पर धूल है,

जो किसी ने उड़ाई थी,

अब ऐसे चिपक गई है 

कि उतरती ही नहीं. 


उड़ानेवाला नहीं जानता 

कि किस-किस पर गिरेगी,

कहाँ-कहाँ गिरेगी,

किन चेहरों को ढकेगी

उसकी उड़ाई धूल. 


वह तो यह भी नहीं जानता 

कि धूल उड़ेगी,तो चिपकेगी 

उसके अपने चेहरे से भी. 



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