शुक्रवार, 23 अगस्त 2019

३७७. किताबें

Books, Stack, Book Store, Stack Of Books
उस दिन मैंने देखा,
कबाड़ी के सामान में 
कुछ पुरानी किताबें थीं,
तुड़ी-मुड़ी, पीली-सी,
कुछ किताबें स्वस्थ भी थीं,
मेन्टेन कर रखा था उन्होंने ख़ुद को.

कातर नज़रों से मुझे 
देख रही थीं किताबें,
सुबक-सुबक कर कह रही थीं,
हमें ख़रीद लो किलो के भाव,
सजा देना अपने बुक-शेल्फ़ में,
भले पढ़ना मत.

किताबें कह रही थीं,
जब हमें फाड़ा जाता है
और हमारे पन्नों में 
भेलपुरी परोसी जाती है,
तुम्हें क्या बताएं,
हमें कितना दर्द होता है?

रविवार, 18 अगस्त 2019

३७६. इतवार

Bird, Yellow, Nature, Colorful, Branch

एक छोटी-सी चिड़िया 
मुंह अँधेरे उठ गई,
नाचने लगी,गाने लगी,
खुशियाँ मनाने लगी.

आज भी उसे काम करना है,
आज भी उसे उड़ना है,
पर उसका मन प्रसन्न है
कि कोई उबाऊ वार नहीं,
आज इतवार है.

गुरुवार, 15 अगस्त 2019

३७५. पतंग

Kite, Fly, Wind, Fun, Kite, Kite, Kite

दुकानों में सजी पतंगें 
बहुत ललचाती हैं,
पर उनसे ज़्यादा ललचाती हैं 
वे पतंगें,जो कट जाती हैं.

ऐसी पतंगों के पीछे 
लोग पागल हो जाते हैं,
उन्हें लूटने के लिए 
अंधाधुंध दौड़ते हैं,
लड़ते हैं, झगड़ते हैं.

दरअसल यह पागलपन 
पतंग उड़ाने के लिए नहीं.
बेसहारा पतंगों को 
हासिल करने के लिए होता है.

तभी तो इस आपाधापी में 
अक्सर पतंगें तार-तार हो जाती हैं,
जिसके भी हाथ लगती हैं,
पूरी नहीं लगतीं.

शुक्रवार, 9 अगस्त 2019

३७४. उसका बोलना

Girl, Face, Colorful, Colors, Artistic

वह बोलती बहुत है,
पर जब बोलती है,
कोई आवाज़ नहीं होती,
उसे नहीं चाहिए 
शब्दों का सहारा,
उसकी आँखें ही बहुत हैं 
बोलने के लिए.

मुझे डर है कि कभी वह 
मुँह से भी बोलने लगे,
तो लोग सुन नहीं पाएंगे.

सुननेवालों को अगर जीना है,
तो बहुत ज़रूरी है 
कि वह सिर्फ़ आँखों से बोले,
अपना मुँह बिल्कुल न खोले.

बुधवार, 7 अगस्त 2019

३७३.परिवर्तन

मेरे गाँव में अब 
पढ़े-लिखे रहते हैं,
हिंदी समझते हैं,
पर अंग्रेज़ी कहते हैं.

बैठकर बातचीत अब 
कम ही होती है,
व्हाट्सएप्प-फ़ेसबुक से 
रिश्ते निभते हैं.

अब नहीं दिखते यहाँ 
रिक्शा-साइकिल,
जिन्हें भी चलना हो,
गाड़ियों में चलते हैं.

पक्की सड़कों के बीच 
कुछ कच्चे रास्ते हैं,
मेरे गाँव में अब 
वे गुमसुम से रहते हैं.

शुक्रवार, 2 अगस्त 2019

३७२. घर में प्रकृति

Painting, Oil On Canvas, Artistic

मेरे घर के आसपास 
कोई पेड़ नहीं,
कोई परिंदा नहीं,
कोई नदी नहीं,
कोई झरना नहीं.

घर की दीवार पर मैंने
एक पेंटिंग लगा ली है,
जिसमें जंगल है,
नदी है,
झरना है,
पेड़ है,
घोंसला है,
परिंदे हैं.

अब अपने घर में बैठे-बैठे 
मैं सब कुछ देख लेता हूँ,
अब मुझे घर से निकलने की 
ज़रूरत ही नहीं पड़ती.