सोमवार, 30 जनवरी 2012

२०.मेरी खोज में मैं 

मैं कहीं खो गया हूँ  
और मेरी खोज में 
मुझे ही लगाया गया है.

बहुत खोजा मैंने खुद को,
पर मुझे कहीं नहीं मिला मैं,
थक-सा गया हूँ खोजकर,
हिम्मत भी हार बैठा हूँ  
छोड़ दी है सारी उम्मीद
कि कभी मिल पाऊंगा मैं खुद से.

अब कोई और प्रयास करे,
ढूंढ निकाले मुझे कहीं से
और जब मैं मिल जाऊं 
तो मुझे भी खबर भिजवा दे 
कि मैं जो कहीं खो गया था
आख़िरकार मिल गया हूँ. 

गुरुवार, 26 जनवरी 2012

१९. इंसान 

मेरे गम में वह रोया,
मेरी खुशी में मुस्कराया,
जब लगी चोट 
तो मरहम लगाया.

गिरने से बचाया उसने 
जब-जब मैं लडखडाया,
मैं कभी गिरा तो
उसने बढ़कर उठाया.

घर से निकला तो 
फूल बिछाए उसने,
चुन-चुन कर हटाये उसने 
कांटे और कंकर.

वह मेरा कोई न था,
न मेरे घर का,
न पड़ोस का,
न ही कोई दोस्त,
दूर का रिश्तेदार भी नहीं.

मैंने पूछा, 'इतना सब किसलिए?'
उसने कहा,'क्योंकि मैं भी इन्सान हूँ.'

शुक्रवार, 13 जनवरी 2012

१८. आधा-आधा 


आधा-आधा बँट गया सब कुछ,
पर लगता है, ठीक से नहीं  बँटा.


जो आधा तुम्हारे पास है,
कितना अच्छा होता 
अगर मेरे पास होता,
तुम्हें भी लगता होगा
कि जो आधा मेरे पास है,
तुम्हें मिलता तो अच्छा होता.


तुम्हारा आधा मुझे 
आधे से ज़्यादा लगता है,
और अपना आधा तुम्हें 
आधे से कम लगता होगा.


पूरे को इस तरह बाँटना 
संभव ही नहीं लगता 
कि दोनों आधे बराबर लगें.

शनिवार, 7 जनवरी 2012

१७.मोहलत 


बीते साल ने जाते-जाते मुझसे कहा,
"कितना वक़्त दिया मैंने,
पर कुछ भी नहीं हुआ तुमसे,
न कोई ख़ुशी, न कोई उत्साह,
न कुछ करने की ललक
अपने या किसी और के लिए,
जीवित होकर भी मृत बने रहे तुम,
बोझ बाँटने की जगह बोझ बने रहे,
मेरे विदा होते-होते 
थोड़ा और पिछड़ गए तुम."


मैंने कहा,"कोशिश तो की थी,
पर कुछ कर नहीं पाया,
लगता है, समय कम पड़ गया,
थोड़ी मोहलत क्यों नहीं दी तुमने ?"


बीता साल हंसा और बोला,
"लो मान ली तुम्हारी बात,
आनेवाले साल में दे दिया 
तुम्हें एक अतिरिक्त दिन,
चलो, अब तो कुछ करो."