शनिवार, 24 दिसंबर 2011

१५.नया साल 


दस्तक दे रहा है नया साल,
मस्ती छाई है चारों ओर,
न ठण्ड की परवाह, न कोहरे की,
क्या हुआ जो सूरज नहीं निकला 
अपना लिहाफ छोड़कर.


नई उम्मीदें,नए सपने,नया संकल्प,
जाते साल के अँधेरे से निकलकर
नई किरण की ओर बढ़ने को 
बेताब कदम...


छूट जाएँगी पीछे 
साल भर की विफलताएं,
रिश्ते खिल उठेंगे नए रंगों से,
भाग खड़े होंगे दुःख दुम दबाकर,
खुशियों भरा होगा नया साल.


ऐसे ही आता है हर नया साल,
झूठे दिलासों के साथ,
फिर पुराना हो जाता है,
हम बस इंतज़ार करते हैं
उसके जाने और नए के आने का.

6 टिप्‍पणियां:

  1. नई उम्मीदें,नए सपने,नया संकल्प,
    जाते साल के अँधेरे से निकलकर
    नई किरण की ओर बढ़ने को
    बेताब कदम...
    mubarak ho naya saal

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  2. ऐसे ही आता है हर नया साल,
    झूठे दिलासों के साथ,
    फिर पुराना हो जाता है,
    हम बस इंतज़ार करते हैं
    उसके जाने और नए के आने का.
    "काव्यान्जलि"--नई पोस्ट--"बेटी और पेड़"--में click करे

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  3. आपके पोस्ट पर आना सार्थक हुआ । बहुत ही अच्छी प्रस्तुति । मेर नए पोस्ट "उपेंद्र नाथ अश्क" पर आपकी सादर उपस्थिति प्रार्थनीय है । धन्वाद ।

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  4. ऐसे ही आता है हर नया साल,
    झूठे दिलासों के साथ,
    फिर पुराना हो जाता है,
    हम बस इंतज़ार करते हैं
    उसके जाने और नए के आने का.

    सच्चाई को कहती सटीक रचना ..नव वर्ष की शुभकामनायें

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  5. नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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