कविताएँ
शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2011
५. पात्रता
मत दो कुपात्र को कुछ भी,
धन-संपत्ति,घर-बार,
यहाँ तक कि अपना प्यार,
पर दे दो उसे थोड़ी विद्या,
थोडा ज्ञान, थोड़ी रौशनी.
हो सकता है, उसमे आ जाये पात्रता
और फिर दे सको तुम उसको
अपना सर्वस्व.
2 टिप्पणियां:
रश्मि प्रभा...
14 अक्तूबर 2011 को 4:47 am बजे
vastu lena hai... gyaan sanskaar dena aasaan nahi
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रजनीश तिवारी
15 अक्तूबर 2011 को 8:12 am बजे
बहुत पते की बात ...आभार
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vastu lena hai... gyaan sanskaar dena aasaan nahi
जवाब देंहटाएंबहुत पते की बात ...आभार
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