जब तुम नहीं रहोगी,
तो कौन बंद कराएगा टी.वी.
ताकि बहराते कान सुन सकें
ट्रेन की सीटी की आवाज़.
खिड़की के पर्दे से
कौन झांक-झांक कर देखेगा
कि स्टेशन से आकर
कोई रिक्शा तो नहीं रुका.
कौन कहेगा कि खाने में
भिन्डी ज़रूर बनाना,
कौन कहेगा कि चाय में
चीनी कम डालना.
कौन बतियाएगा घंटों तक,
सुनाएगा गाँव के हाल,
पूछेगा छोटी से छोटी खबर,
साझा करेगा हर गुज़रा पल।
जब मैं हँसूंगा, तो कौन कहेगा,
अब बस भी करो,
मुझे दिखता कम है ,
पर इतना तो मैं जानती हूँ,
कि तुम हँस नहीं रहे
हँसने का नाटक कर रहे हो.