पिछली दिवाली में
जो थोड़े-बहुत फ़ासले
दिलों के बीच हुए थे,
इस दिवाली में आओ
उन्हें दूर भगाएँ,
एक क़दम तुम बढ़ाओ,
एक क़दम हम बढ़ाएँ।
बहुत कर ली हमने
घरों की सफ़ाई,
अपने अंदर का
कूड़ा हटाएँ,
थोड़ा दिलों को चमकाएँ।
तुम अपनी बर्फ़ी
हमें खिलाओ,
हम अपनी नमकीन
तुम्हें खिलाएँ,
थोड़े दिये तुम जलाओ,
थोड़े हम जलाएँ,
दो दिये ही सही,
साथ-साथ जलाएँ।
छोटी-सी ज़िंदगी में
इतना क्या रूठना,
इतना क्या गुस्सा
इतनी क्या ज़िद,
अपनी बालकनी से
तुम मुस्कुराओ,
अपनी छत से
हम मुस्कुराएँ।
अंधेरा न रहे कहीं,
हर कोना जगमगाए,
इस बार दिवाली
कुछ इस तरह मनाएँ।
शुभकामनाएं | सुन्दर |
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 30 अक्टूबर को साझा की गयी है....... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंअथ स्वागतम शुभ स्वागतम।
दीवाली पर सीधी, सरल, सुंदर रचना, शुभकामनाएँ !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति । दीपोत्सव पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ 🙏
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