शनिवार, 30 सितंबर 2023

७३६.महात्मा

 


इतनी हिंसा,

इतनी नफ़रत,

इतना उन्माद!

बापू,

बहुत खलता है इन दिनों 

तुम्हारा नहीं होना. 

***

बापू,

कैसा लगता है तुम्हें, 

जब तुम देखते हो 

कि हमने तुम्हें याद भी रखा है

और भूल भी गए हैं. 

***

बापू,

तुम्हारे तीनों बन्दर 

सही सलामत हैं,

न बुरा देखते हैं,

न बुरा बोलते हैं,

न बुरा सुनते हैं, 

पर समझ में नहीं आता 

कि तुमसे अलग होकर

वे इतने ख़ुश क्यों हैं? 


13 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 02 अक्टूबर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  2. सुन्दर, गांधी, लाल बहादुर जयन्ती की शुभकामनाएं

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  3. गांधी को भुलाने में तो सब आगे हैं और गांधी का नाम भुनाने में सब और भी आगे हैं.

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  4. बापू के तीन बन्दर खुश हैं. इंसानों को पता भी नहीं कि वे इनकी धरोहर का करें क्या ? और ये भी कि इनकी मृत्यु इनके जीवन की धुरी नहीं थी. इनकी एक भी अच्छी बात हम सीख सकें तो सबका भला हो. अभिनन्दन.

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  5. बहुत अच्छी रचना सर।
    सादर।
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    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार ३० जनवरी २०२४ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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