शनिवार, 30 अप्रैल 2022

६४८. मुट्ठी



कभी उससे मिलो,

तो ज़बर्दस्ती ही सही,

उसकी मुट्ठी खोल देना,

उसमें मेरी रेखाएँ बंद हैं,

उन्हें मेरे हाथ में होना चाहिए. 

**

न जाने कब से 

जकड़ रखा है उसने 

बंद मुट्ठी में मुझे,

साँस नहीं ले पा रहा मैं,

इतना हताश हूँ 

कि कोशिश भी नहीं कर रहा 

मुट्ठी खुलवाने की. 

**

इंतज़ार मत करो 

कि कोई और खोलेगा 

उसकी बंद मुट्ठी,

तुम्हारा दम घुट रहा है,

तो तुम्हीं हिम्मत दिखाओ,

दाँतों से काट खाओ ,

मुट्ठी खुलवाओ 

आज़ाद हो जाओ.

**

जब वह कहता है 

कि तुम बहुत अच्छी हो,

तो उसका मतलब कुछ और नहीं,

बस इतना ही होता है 

कि तुम उसकी मुट्ठी में हो. 

**

कितनी नादान हो,

जो सोच रही हो 

कि तुम उसे अपनी 

उंगलियों पर नचा रही हो,

तुम्हें पता ही नहीं है 

कि तुम ख़ुद उसकी मुट्ठी में हो.


बुधवार, 27 अप्रैल 2022

६४७.रिटायरमेंट के बाद




 बहुत आराम में हूँ मैं इन दिनों 

अपनी मर्ज़ी का मालिक,

जब चाहे सोऊँ, जब चाहे जागूँ. 


बस एक ही चीज़ खटकती है 

कि अब दिनों में कोई फ़र्क़ नहीं रहा,

जैसा इतवार, वैसा सोमवार,

सारे दिन एक जैसे. 


न सोमवार सुबह की घबराहट,

न शुक्रवार शाम की राहत, 

बस एक सीधा- सपाट रास्ता है,

जिस पर चलते जाना है. 


इन दिनों मैं उधेड़बुन में हूँ, 

ऐसा कुछ क्यों न करूँ 

कि यह सीधा-सपाट रास्ता 

थोड़ा ऊबड़-खाबड़ हो जाय. 


मैं थोड़ा गिरूं,

थोड़ा डरूँ,

थोड़ा थकूँ,

महसूस करूँ 

कि मेरा सफ़र 

अभी ख़त्म नहीं हुआ है.


गुरुवार, 21 अप्रैल 2022

६४६.घर


 

अब छोड़कर जा रहा हूँ 

मैं यह मकान, यह शहर ,

पर जब शाम होने लगे,

तो घर में दिया जला दिया करना. 


घर में कोई हो,न हो,

रौशनी ज़रूर होनी चाहिए, 

रौशनी हो, तो भ्रम बना रहता है 

कि घर में कोई रहता है, 

घर को भी लगता है 

कि अँधेरे में किसी ने उसे

अकेला नहीं छोड़ा. 


रविवार, 17 अप्रैल 2022

६४५. दिल

 


मैं सांस ले रहा हूँ,

चल-फिर रहा हूँ,

सब कुछ कर रहा हूँ,

पर मेरा दिल है 

कि ढूंढने पर भी मुझे 

मिलता ही नहीं.


कभी कोई ढंग का 

डॉक्टर, वैद्य या हकीम मिले,

तो जांच कराऊँ,

पता तो चले 

कि मेरे पास भी कोई 

धड़कता हुआ दिल है क्या.


मंगलवार, 12 अप्रैल 2022

६४४.रिश्ता



मेरा तुमसे रिश्ता,

जैसे वसंत के मौसम में 

खिला-खिला सा चमन,

जैसे बारिश के बाद 

धुला-धुला सा आसमान,

जैसे पहाड़ों के पेड़ों पर 

पसरा हुआ कोहरा,      

जैसे जंगल में गूंजता 

चिड़िया का गान, 

जैसे चाँद को दुलारती 

बहती हुई नदी. 


मेरा तुमसे रिश्ता,

जैसे किसी पुराने एल्बम में  

कोई पसंदीदा तस्वीर. 


कितना अलग है यह रिश्ता 

उन सारे रिश्तों से,

जो मैं कभी जी न सका,

पर ज़िन्दगी-भर निभाता रहा. 


शुक्रवार, 8 अप्रैल 2022

६४३. रिटायरमेंट के बाद का दिन



सुबह नींद खुली,

तो देखा, वह सो रही थी,

उसके चेहरे पर मुस्कान थी,

मासूम-सी लगी वह मुझे. 


याद नहीं आता मुझे

कि मैं कभी उससे पहले जागा,

मुझे बेड टी देना,

मेरा टिफ़िन तैयार करना,

समय पर ऑफिस भेजना,

सारी ज़िम्मेदारी उसी की तो थी. 


कभी पहले नींद खुली भी, 

तो वक़्त कहाँ था कि देखता,

वह सोते में कैसी लगती है. 


आज पहली बार मैंने देखी 

उसके चेहरे पर बेफ़िक्री,

आज पहली बार मैंने देखा 

उसे सुबह देर तक सोते,

सोचता हूँ, कितना अच्छा होता 

अगर मैं पहले रिटायर हो जाता.


शुक्रवार, 1 अप्रैल 2022

६४२. उसकी हँसी




वह जब हँसता है,

तो डर जाते हैं सभी, 

घुस जाते हैं घरों में,

बंद कर लेते हैं दरवाज़े,

समझ जाते हैं 

कि होने वाला है कोई अनिष्ट.

जब कोई हँसता है,

तो अक्सर दूसरे भी हँसते हैं,

पर हमेशा ऐसा हो,

यह ज़रूरी नहीं है.

**

वह जब हँसता है,

तो काँपने लगती है ज़मीन,

ढहने लगते हैं घर,

सब प्रार्थना करते हैं 

कि उसका हँसना 

जल्दी बंद हो जाय. 

**

उससे कहो 

कि हँसे नहीं,

चुप रहे,

वह जब हँसता है,

तो मुहल्ले के सारे बच्चे 

रोने लगते हैं. 

**

वह जब हँसता है,

तो हँसने लगते हैं 

गली के कुत्ते,

सच कहते हैं लोग 

कि हँसी संक्रामक होती है.