रविवार, 19 दिसंबर 2021

६२९. निशाना

 



दस सिर थे रावण के,

पर था तो वह एक ही,

एक ही तीर चलाया था राम ने,

सोख लिया था उसकी नाभि का अमृत 

और अंत हो गया रावण का. 


आज के राम का काम ज़रा मुश्किल है, 

अब दस सिर वाला एक रावण नहीं,

अलग-अलग सिर वाले हज़ारों रावण हैं,

अब रावणों को मारना है,

तो तीर कई होने चाहिए 

और निशाना होना चाहिए अचूक. 


4 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार(21-12-21) को जनता का तन्त्र कहाँ है" (चर्चा अंक4285)पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा

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  2. यथार्थ का प्रस्तुत करती चिन्तनपरक रचना ।

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  3. गली-गली में रावण है
    नेता जी का भाषण है
    राम अकेले थक जाएँगे
    तीर भी उनके चुक जाएंगे.

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  4. राम के पास आज भी है वो निशाना ... समय पर तीर चलेगा ...

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