गुरुवार, 25 नवंबर 2021

६२२.साथी



ऐसा साथी भी क्या साथी,

जो दो कदम चले,

आलिंगन में भरे,

फिर निकल जाय 

किसी अलग रास्ते पर,

उम्मीदों का ज्वार जगा कर  

धराशाई कर दे उन्हें.  


साथी बनो तो ऐसे बनो 

कि न छूटो, न टूटो,

देर तक चलो,

दूर तक चलो. 


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