सोमवार, 31 मई 2021

५७३. अपराध

 



सूरतें याद करो,

महसूस करो दर्द

कुछ इस तरह 

कि आँखों में आँसू आ जाएँ,

आँसू नहीं तो कम-से-कम

उदासी ही छा जाय चेहरे पर,

यह भी संभव नहीं,

तो भावहीन ही दिखो।


इस आपदा की घड़ी में 

जब जवान,बूढ़े,अपने-पराए

विदा हो रहे हों एक-एक करके,

जब कभी भी आ सकता हो 

कोई भी बुरा समाचार,

किसी भी बात पर ख़ुश होना

अपराध-सा महसूस होता है.  


4 टिप्‍पणियां:

  1. किसी भी बात पर ख़ुश होना

    एक अपराध-सा लगता है.---सच ये दौर ऐसा ही है, क्रूर...।

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  2. दुःख के इस वेला में ख़ुशी ही नहीं एक सामान्य जीवन जीना भी अपराधबोध से ग्रसित कर देता है. दिमाग में हर वक़्त वे सभी घुमते हैं जिन अपनों को मैंने खो दिया है.

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