शुक्रवार, 30 अप्रैल 2021

५६१.शव परेशान हैं


शवों की क़तार लगी है 

श्मशान के सामने,

जलने को बेताब हैं वे,

परेशान हैं,

नहीं जानते थे 

कि अस्पताल से निकलकर भी 

क़तारों का सिलसिला ख़त्म नहीं होगा. 


ज़िंदा होते,

तो धक्का-मुक्की करते,

आगे निकल जाते,

पर अब तो कोई चारा नहीं है. 


शव चिंता में हैं 

कि चिता तक पहुँचने में 

ज़्यादा देर हुई,

तो वे भी न भाग जाएँ,

जो मुश्किल से साथ आए हैं. 


7 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा रविवार ( 02-05-2021) को
    "कोरोना से खुद बचो, और बचाओ देश।" (चर्चा अंक- 4054)
    पर होगी। चर्चा में आप सादर आमंत्रित हैं।
    धन्यवाद.


    "मीना भारद्वाज"

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  2. भयावह स्थिति है ।।शव चिंता में हैं कि साथ आये जो दो चार लोग हैं वो भी न भाग जाएँ । कटु सत्य कहती रचना ।

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  3. आज की सच्चाई बयां करती बहुत ही मार्मिक रचना ।

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  4. मर्म को छूती है रचना ...
    गहरा अर्थ समेटे ...

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