शनिवार, 19 दिसंबर 2020

५१५. सूर्यास्त


बस थोड़ी देर में 

शाम होने को है,

उतर रहा है झील में 

लहूलुहान सूरज,

बेसब्री से देख रहे हैं 

किनारे पर खड़े लोग.


मैं सोचता हूँ,

किसी को डूबते हुए देखना 

इतना अच्छा क्यों लगता है.

15 टिप्‍पणियां:

  1. सच कहा आपने, परंतु सूर्य तो अतिशयोक्ति हैं..सुंदर कृति..

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 22 दिसम्बर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. किसी को डूबते हुए देखना
    इतना अच्छा क्यों लगता है.

    –क्या सच में सबको...
    तो
    साधु बिच्छू वाली कहानी क्या कह गयी..

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  4. मन की अवस्था
    हमारी दृष्टि
    बन जाती है ।
    ढलते सूरज की
    रंग शाला,
    किसी को
    मन की चोट,
    किसी को
    सुनहरी शाम
    नज़र आती है ।

    इस अनुभूति के बहाने मनोदशा समझने का भाव जगाने के लिए हार्दिक आभार ।

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  5. क्या बात ... कभी कभी डूबना उभरने की निशानी हो जाती है ...

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  6. ''किसी को डूबते हुए देखना इतना अच्छा क्यों लगता है''...... गजब !

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  7. शानदार,आखिरी पंक्ति में रचना का निचोड़ है, सच है

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