शनिवार, 23 मार्च 2019

३५१. तिनका


मैं छोटा सा तिनका हूँ,
कोई दम नहीं है मुझमें,
हवा मुझे उड़ा सकती है,
पानी बहा सकता है.

कोई चाहे तो आसानी से 
तोड़ सकता है मुझे,
टुकड़े कर सकता है मेरे.

पर मौक़ा मिल जाय,
तो मेरा छोटा-सा टुकड़ा भी 
उन आँखों को फोड़ सकता है,
जिनमें मेरा होना चुभता है.

7 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (24-03-2019) को "चमचों की भरमार" (चर्चा अंक-3284) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. तिनके का महत्त्व तो मुहावरे भी कहते हैं ... तिनके का सहारा कई बार जीवन में प्रकाश ले आता है ...

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  3. विनम्रता फिर सजगता। अच्छा है।

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  4. वाह....
    किसी को न समझो छोटा या बड़ा
    हर एक का अपना महत्त्व होता है !
    बहुत ही बेहतरीन रचना..

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