कविताएँ
शनिवार, 5 दिसंबर 2015
१९४. प्यार
जो चकरी की तरह घूमे,
वह नई जवानी का आकर्षण है;
जो फुलझड़ी की तरह जले,
वह नूतन प्रेम का एहसास है;
जो अनार की तरह चले,
वह जवानी का उन्माद है;
जो बम की तरह फटे,
वह विरोध के ख़िलाफ़ विद्रोह है;
जो दिए की तरह जले,
वह जीवन-भर का प्यार है.
5 टिप्पणियां:
Manoj Kumar
6 दिसंबर 2015 को 3:42 am बजे
डायनामिक
बहुत सुंदर.
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प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ'
9 दिसंबर 2015 को 9:24 am बजे
बहुत बढ़िया और भावपूर्ण.....
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Madhulika Patel
11 दिसंबर 2015 को 10:59 am बजे
बहुत बढ़िया ।
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How do we know
23 दिसंबर 2015 को 11:41 am बजे
ekdum sahi!!
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Himkar Shyam
24 दिसंबर 2015 को 9:29 am बजे
सुंदर और भावपूर्ण
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डायनामिक
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.
बहुत बढ़िया और भावपूर्ण.....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ।
जवाब देंहटाएंekdum sahi!!
जवाब देंहटाएंसुंदर और भावपूर्ण
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