शुक्रवार, 27 मार्च 2015

१६२. माँ

वह औरत जो गुम हो गई मेरी यादों से,
चौखट पर मेरी राह तकती होगी.

सुधर रही है मेरी तबीयत रफ़्ता-रफ़्ता,
उसकी नींद फिर भी उचटती होगी.

मेरी आवाज़ सुनने की ख्वाहिश में,
वह फ़ोन के इर्द-गिर्द टहलती होगी.

यह सोचकर कि मैं परेशां न हो जाऊं,
अपना दर्द वह दबाकर रखती होगी.

सुबह की गाड़ी से मेरा आना सुनकर,
वह रातभर करवटें बदलती होगी.

रास आ गई है मुझको परदेस की फ़िज़ां,
मेरी याद में वह गाँव में सिसकती होगी.

शुक्रवार, 20 मार्च 2015

१६१. बुझता दिया

मेरी बाती जल गई है,
तेल चुक गया है,
लौ मद्धिम हो गई है,
फिर भी मुझमें आग है.

मुझे कमज़ोर मत समझना,
जब तुम मुझे मरा समझ लोगे,
मैं ठीक उसी वक़्त भभकूंगा
और खुद मरने से पहले,
तुम्हें भी खाक कर दूंगा. 

शुक्रवार, 13 मार्च 2015

१६०.रास्ते


सीधे-सपाट रास्तों पर चलना 
मुझे अच्छा नहीं लगता,
ऊबड़-खाबड़, टेढ़े-मेढ़े रास्तों पर 
चलने का मज़ा ही कुछ और है. 

ऐसे रास्तों पर चलकर लगता है 
कि चलना हो रहा है,
सपाट रास्तों पर तो लगता है 
कि रास्ता कहीं है और हम कहीं और.

ऐसे रास्तों पर चलकर लगता है 
कि हम चल ही नहीं रहे,
लगता है कि हम तो स्थिर हैं 
और रास्ता है, जो चल रहा है.

गुरुवार, 5 मार्च 2015

१५९. पुरानी होली

पिछले साल होली में 
तुमने जो रंग डाला था,
वह अभी तक नहीं छूटा,
बल्कि और गहरा गया है. 

तुम्हारी पिचकारी में क्या जादू था 
कि मैं आज तक भीगा हुआ हूँ,
तुम्हारे हाथों से बनी गुझिया की मिठास 
अब भी मेरे मुंह में कायम है. 

रंग-सने तुम्हारे हाथों की छुअन 
मेरे गालों पर अब भी ताज़ा है,
अब भी न जाने क्यों मेरे बदन में 
एक झुरझुरी-सी महसूस होती है. 

साल भर बीत गया,
तुम तो भूल भी गई होगी 
पिछले साल की होली,
पर मुझे वह हर पल याद है. 

मुझे इंतज़ार है 
कि तुम फिर से दोहरा दो 
पिछले साल की होली,
मुझे फिर से जीनी है इस बार 
वही पुरानी होली. 

रविवार, 1 मार्च 2015

१५८. अगर...

एक अरसे से ख्वामख्वाह जीता रहा हूँ मैं,
तुम जो कभी कहती, तो बेहिचक मर जाता।

वो जो कल ठिठुरकर मर गया सड़क पर,
आप ही कहिए, अगर जाता, तो कहाँ जाता ?

डर नहीं लगता मुझे तूफ़ानी हवाओं से,
मैं जो चाहता, तो किनारे पर ठहर जाता. 

ताउम्र उलझाए रखा दुनियादारी ने मुझे,
वक़्त मिला होता,तो मैं भी कुछ कर जाता।

नादान था, जो मारा गया बेकार की अकड़ में,
इल्म होता,तो वो भी ज़रा झुक जाता. 

वो शख्स जो डूब गया किनारे पर रहकर,
मझधार में आता, तो पार उतर जाता.