शुक्रवार, 31 अक्तूबर 2014

१४४. बुझा हुआ दिया

बुझे हुए दिए ने कहा,
मुझे ज़रा साफ़ कर दो,
थोड़ा तेल डाल दो मुझमें,
एक बाती भी लगा दो,
मुझे तैयार रहना है.

अभी तो सूरज चमक रहा है,
अँधेरा भाग गया है कहीं,
किसी को याद नहीं मेरी,
पर धीरे-धीरे सूर्यास्त होगा,
अँधेरा आ धमकेगा हक़ से,
तब मुझे फिर से जलना होगा.

बीती कई रातों में मैंने
दूर भगाया है अँधेरा,
राह दिखाई है भटकों को,
पर मैं थका नहीं हूँ,
मैं अभी चुका नहीं हूँ,
मैं संतुष्ट नहीं हुआ हूँ.

मैं फिर से जलना चाहता हूँ,
थोड़ी मदद कर दो मेरी,
तेल और बाती डाल दो मुझमें,
लायक बना दो मुझको,
ताकि जैसे ही मेरी ज़रूरत हो,
तुम मुझे प्रज्जवलित कर सको.

गुरुवार, 23 अक्तूबर 2014

१४३. इस बार की दिवाली

दियों की रौशनी कुछ मद्धिम सी है,
रंगोली के रंग कुछ फ़ीके से हैं,
मिठाईयों में मिठास कुछ कम सी है,
नमकीन में नमक कुछ ज़्यादा सा है.

इस बार कुछ भी नहीं है संतुलन में,
कहीं कुछ कम है, तो कहीं कुछ ज़्यादा,
यहाँ तक कि पटाखों में भी इस बार 
ध्वनि-प्रदूषण कुछ ज़्यादा सा है.

उदास-उदास सी है इस बार की दिवाली,
तुम आओ, तो दिवाली ज़रा मुस्कराए.

शनिवार, 18 अक्तूबर 2014

१४२. दिया, हवाओं से


हवाओं, ज़रा धीरे बहो.

अभी बाती बची है मुझमें,
थोड़ा तेल भी शेष है,
सुबह होने में देर है अभी,
मुझे तनिक और जलने दो.

अगर नहीं मानना तुम्हें,
तो कर लो अपनी मर्ज़ी,
लगा लो पूरा ज़ोर,
देखना, कहीं से आएंगी,
दो कोमल हथेलियाँ,
ढांप लेंगी मेरी लौ,
बेबस कर देंगी तुम्हें.

फिर तुम कितना भी तेज़ बहो,
कितना भी ज़ोर लगा लो,
मैं बुझूंगा नहीं,
फिर तो जब तक मुझमें
बाती रहेगी, तेल रहेगा,
जब तक मैं रहूँगा,
मैं जलता रहूँगा.

शनिवार, 11 अक्तूबर 2014

१४१. दूर से

दूर आसमान में टिमटिमाता 
छोटा-सा सितारा 
मुझे अपनी ओर खींचता है.

मेरा मन करता है 
कि तेज़ हवाएं चलें,
मुझे उड़ा ले जायं 
वहाँ, जहाँ वह सितारा है.

या फिर मैं बादलों के साथ 
भटकता रहूँ इधर से उधर,
ज़रा नज़दीक से देखूं सितारे को.

पर फिर मुझे लगता है 
कि मैं यहीं ठीक हूँ,
यहीं, ज़मीन पर,
सितारे से बहुत दूर,
क्योंकि दूर से जो चीज़
बहुत अच्छी लगती है,
पास से अकसर वैसी नहीं लगती.

अब तो मैं  यही चाहता हूँ  
कि हमेशा ज़मीन से 
देखता रहूँ सितारे को, 
मेरी यह सोच कभी न बदले 
कि वह सितारा 
जो आसमान में चमक रहा है 
कितना सुंदर है !

बुधवार, 1 अक्तूबर 2014

१४०. आखिरी समय

इतनी जल्दी भी क्या है? 

एक आखिरी मेल लिख लूं,
बस एक ट्वीट कर लूं,
ब्लॉग पर पोस्ट कर लूं,
फ़ेसबुक खोल लूं,
स्टेटस अपडेट कर लूं,
तो फिर चलूँ.

यह सब हो जाय,
फिर भी मोहलत मिल जाय,
तो वह भी कर लूं,
जो कभी कर नहीं पाया, 
जिसके लिए कभी 
वक्त ही नहीं मिला.

थोड़ा समय और मिल जाय,
तो एक नेक काम कर लूं,
बस फिर चलूँ.