शनिवार, 23 नवंबर 2013

१०५. दीया

हवाओं,
मेरे बुझने पर मत इतराओ,
अभी मेरा अंत नहीं हुआ है.

अभी मुझमें थोड़ा तेल बाकी है,
अधजली बाती अभी शेष है,
मुझे इंतज़ार है बस एक लौ का
जो मुझे फिर से प्रज्जवलित करे.

मेरी बाती जलकर राख हो जाय 
तो भी मेरा अंत नहीं होगा,
तेल खत्म हो जाय, तो भी नहीं,
नई बाती, थोड़ा तेल और एक लौ,
बस, मैं फिर जल उठूँगा.

हवाओं,
विजय का जश्न मत मनाओ,
मैं बुझा हूँ, हारा नहीं हूँ,
मुझे हराने के लिए 
तुम्हें मुझे तोड़ना होगा.

यह सच है 
कि मैं मिट्टी से बना हूँ,
छोटा और कमज़ोर लगता हूँ,
पर मुझे तोड़ना आसान नहीं है,
मुझे तोड़ने के लिए तुम्हें
थोड़ा और ज़ोर लगाना होगा,
मुझे तोड़ने के लिए तुम्हें
थोड़ा और तेज़ बहना होगा.

गुरुवार, 14 नवंबर 2013

१०४. बू

एक समय था,
जब मेरी कल्पनाओं के पेड़ में 
खूब कविताएँ फला करती थीं,
मैं अच्छे-अच्छे फल चुनकर 
अपनी डायरी में सजा देता था,
सारे नुक्सवाले फल
डाल पर छोड़ देता था, 
पक्षियों के लिए 
या गिरकर सड़ने के लिए.

पर अब मेरी कविताओं का पेड़ 
पहले जैसा फलदार नहीं रहा, 
अब नुक्सवाले फल 
मैं डाल पर नहीं छोड़ सकता,
अब मैं उन्हें भी तोड़ता हूँ,
उन्हें भी डायरी में सजाता हूँ.

अब मेरी डायरी पहले की तरह 
महकती नहीं, उससे बू आती है,
अब मेरे पाठक कभी-कभी 
नाक बंद करके निकल जाते हैं.

अब मैं अकसर सोचता हूँ 
कि कविता लिखना छोड़ दूं.

शनिवार, 9 नवंबर 2013

१०३. प्यार

सुनो, मुझे तुमसे कुछ कहना है,
हँसना नहीं,
बस ध्यान से सुनना,
कभी भी, कहीं भी,
किसी कमज़ोर क्षण में भी 
यह मत कहना 
कि तुम्हें मुझसे प्यार है.

अच्छा है
कि तुम्हारे प्यार का एहसास
मुझे अपने आप हो.
कहीं ऐसा न हो 
कि तुम कह दो,
तुम्हें मुझसे प्यार है 
और मुझे कुछ महसूस ही न हो.

लोग जो कहते हैं,
ज़रुरी नहीं 
कि सच ही हो.
हो सकता है, 
उन्हें पता हो 
कि जो वे कह रहे हैं,
दिल रखने के लिए कह रहे हैं.
यह भी हो सकता है,
उन्हें लगता हो 
कि जो वे कह रहे हैं,
वह सच है,
पर वास्तव में वह सच न हो.

इसलिए कहता हूँ,
कभी बहुत दिल करे 
तो भी मत कहना
कि तुम्हें मुझसे प्यार है.
मेरे लिए इतना बहुत है 
कि बिना कुछ कहे-सुने
तुम मुझे महसूस करा दो 
कि तुम्हें मुझसे प्यार है.

शुक्रवार, 1 नवंबर 2013

१०२. दीपक


हटाओ मुझे यहाँ से,
कहीं और ले चलो.

यहाँ बहुत उजाला है,
हवाएं शांत हैं,
यहाँ मेरे जलने 
या न जलने से 
कोई फ़र्क नहीं पड़ता.

मुझे वहाँ ले चलो 
जहाँ खूब अँधेरा हो,
तेज़ हवाएं चलती हों,
जहाँ मेरी ज़रूरत हो,
जहाँ मुझे लगे 
कि मैं जल रहा हूँ.

कुछ दे सकते हो मुझे,
तो लड़ने का संबल दो,
नई बाती डालो मुझमें 
और ढेर सारा तेल.

अँधेरा हटाने दो मुझे,
हवाओं से लड़ने दो,
बुझते-बुझते जलने दो,
ले चलो मुझे यहाँ से,
मेरा जलना सार्थक करो.