शनिवार, 22 जून 2013

८६. बारिश के बाद

कई दिनों की बारिश के बाद 
आज सुबह से धूप खिली है,
कलूटे बादल जा छुपे हैं कहीं,
आसमान ने थोड़ी सांस ली है.

पत्तियां सुखा रहीं हैं भीगे बदन,
पंखुड़ियों के चेहरों पर चमक छाई है,
पंछी निकल पड़े हैं घोंसलों से,
चूज़ों को भूख लग आई है.

खुल गए हैं हाट-बाज़ार, रास्ते,
बोझिल क़दमों में फिर जान आई है,
थोड़े दिन चुप रहना बारिश,
बड़ी मुश्किल से ज़िंदगी मुस्कराई है.

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