रविवार, 27 मई 2012

34. ईमानदार

 
बहुत  पसंद हैं मुझे 
ईमानदार  लोग ,
धारा के विरुद्ध  चलनेवाले ,
निज़ी स्वार्थों से परे,
अन्दर से मजबूत,
फिसलन  पर भी जो 
डटकर खड़े रहते हैं।

बेईमानों की दुनियां में 
ईमानदार  मिलते कहाँ हैं?
इनको सहेजना ज़रूरी है,
देखना ज़रूरी है 
कि इनकी ज़मात  
कहीं लुप्त न हो जाय .

बहुत  पसंद हैं मुझे 
ईमानदार लोग,
बहुत  इज्ज़त  है 
मेरे मन  में उनकी,
मुझे बस  उनकी 
यही बात  पसंद नहीं 
कि वे अपने अलावा सबको 
बेईमान  समझते हैं।

शनिवार, 19 मई 2012

33.सरल रास्ते


थक  चुका हूँ मैं
सीधे-सरल  रास्तों पर चलते-चलते.

शुक्रगुज़ार हूँ मैं उनका,
जिन्होंने क़दमों तले  फूल  बिछाए,
पर अब इन  फूलों से तलवे जलने लगे हैं,
पेड़ों की घनी छांव  में 
अब दम  घुटता है,
सीधी सपाट सड़क 
अब उबाऊ  लगती है।

क्या फ़ायदा  इस  तरह चलने का 
कि पसीना भी न  निकले,
इतनी भी थकान  न  हो कि 
सुस्ताने का मन  करे?
घर से ज्यादा आराम  सफ़र में हो,
तो क्या फ़ायदा  बाहर  निकलने का,
बैठने से ज्यादा आराम  चलने में हो,
तो क्या फ़ायदा ऐसे चलने का?

मुझे दिखा दो उबड़-खाबड़ राह ,
जिसमें कांटे बिछे हों,
जहाँ दूर-दूर तक  कहीं 
पेड़ों कि  छांव  न  हो,
जिस  पर चल कर लगे कि  चला हूँ,
फिर मंजिल  चाहे मिले न  मिले।


शुक्रवार, 11 मई 2012

32.बंटवारा


धन-दौलत ,ज़मीन -जायदाद ,
यहाँ तक  कि रिश्ते-नाते,
सब कुछ  तो बंट  गया,
कुछ  भी शेष नहीं बंटने को।

साझा अब कुछ  भी नहीं,
कुछ  भी नहीं ऐसा 
जिसका आधा तुम्हें भेज  सकूं,
न  ही ऐसा कुछ  तुम्हारे पास  है 
जिसका आधा तुम  मुझे भेज  सको।

बस  एक  आंसू जो बंद था पलकों में
गालों पर छलक  आया है,
कहो तो आधा तुम्हें भिजवा दूं,
ऐसा ही कुछ  तुम्हारे पास  हो 
तो आधा इधर भिजवा देना। 

रविवार, 6 मई 2012

31.पगडण्डी


कौन  चला होगा यहाँ पहली बार,
जो भी चला होगा क्यों चला होगा,
किसी से मिलने चला होगा 
या किसी से बिछड़कर ?

जोश  से भरा होगा या डर से,
काँपते क़दमों से  चला होगा 
या संकल्प और दृढ़ता से,
स्वेच्छा से चला होगा या मजबूरी से ?

कितने सालों पहले चला होगा,
अकेले चला होगा या किसी के साथ,
चलकर कहाँ तक  पहुंचा होगा,
पहुंचा भी होगा या नहीं?

जो भी चला हो, जैसे भी चला हो,
डरकर चला हो या साहस  से भरकर,
उसके चलने से कोई राह तो मिली,
घने जंगल  में पगडण्डी तो बनी.

सब चुप बैठ जाएँ तो कुछ  नहीं होता,
साहस  के साथ  बैठने से अच्छा है 
डर के साथ  चलते रहना,
पगडंडियों के लिए चलना ज़रूरी है.