शुक्रवार, 9 दिसंबर 2011

१३. टिप्पणी

पल-पल सोचकर,
रात-रात जागकर,
शब्द-शब्द जोड़ा,
मैंने भावों को पिरोया.

लिखा-काटा, काटा-लिखा,
पन्ने भरे, दवातें खाली कीं,
बड़े जतन से, बड़ी लगन से,
दिनोंदिन संवारा,
तब जाकर तैयार हुईं
चंद कविताएँ.

उसने ध्यान से पढ़ा,
कुछ सोचा और कहा,
'तुम अच्छे कवि होते,
अगर मेहनती होते.'

2 टिप्‍पणियां: