पिता खाँसते हैं,
तो पूरा मोहल्ला जान जाता है
कि घर में कोई है,
कोई चोर-उचक्का
साहस नहीं करता
घर में घुसने का,
अमेज़ॅनवाला नहीं लौटता
बिना सामान दिए,
डाकिया नहीं लौटता
बिना ख़त दिए,
घर में नहीं छाती कभी
ख़ामोश मुर्दनी।
पिता सिर्फ पिता नहीं है,
वे घर का दरवाज़ा हैं,
दरवाज़े के अंदर का कुंडा हैं,
बाहर का ताला हैं।
पिता दिन में भी खाँसते हैं,
पर रात में ज़्यादा खाँसते हैं,
उन्हें नींद नहीं आती,
पर हम चैन की नींद सोते हैं।