समय से पहले कूकने लगी है कोयल,
बहने लगी है पछुआ हवा,
बौर आ गए हैं आम पर,
सबको इंतज़ार है
इस होली में तुम्हारे गाँव आने का।
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तुम होली न खेलना चाहो,
तो न सही,
कम-से-कम आ तो जाओ,
रंगत आ जाएगी कई चेहरों पर
तुम्हारे आने-भर से।
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पिछले फागुन में तुम नहीं आए,
तो मैंने जाना
कि होली हर साल आए,
कोई ज़रूरी नहीं है।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 13 मार्च 2025 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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होली की शुभकामनाएं | सुन्दर |
जवाब देंहटाएंअब आ भी जाओ
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंवाह!!!!! कितनी गहरी बात, कितने सटीक शब्दों में!
जवाब देंहटाएंआहा … कमाल की होली है ब्लॉग पर
जवाब देंहटाएंमार्मिक रचना
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