मंगलवार, 11 मार्च 2025

798. होली की आहट

 


समय से पहले कूकने लगी है कोयल,

बहने लगी है पछुआ हवा, 

बौर आ गए हैं आम पर,

सबको इंतज़ार है 

इस होली में तुम्हारे गाँव आने का। 

++

तुम होली न खेलना चाहो, 

तो न सही, 

कम-से-कम आ तो जाओ,

रंगत आ जाएगी कई चेहरों पर 

तुम्हारे आने-भर से। 

++

पिछले फागुन में तुम नहीं आए, 

तो मैंने जाना 

कि होली हर साल आए,

कोई ज़रूरी नहीं है। 

7 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 13 मार्च 2025 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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  2. वाह!!!!! कितनी गहरी बात, कितने सटीक शब्दों में!

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  3. आहा … कमाल की होली है ब्लॉग पर

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