मंगलवार, 10 अक्तूबर 2023

७३७.निःशब्द कविता

 


मैंने एक कविता लिखी है,

आम कविताओं जैसी कविता,

उसमें गहरे भाव तो हैं,

पर शब्द नहीं हैं. 


यह मैंने काग़ज़ पर नहीं,

किसी क़लम से नहीं,

कुछ सोचकर नहीं,

महसूस करके लिखी है. 


तुम्हारे अलावा कोई और  

पढ़ नहीं पाएगा इसे,

तुम भी नहीं पढ़ पाई,

तो मर जाएगी यह कविता. 


आओ, मेरी आँखों में देखो, 

पढ़ने की कोशिश करो,

अगर तुमने उतना भी पढ़ लिया,

जितना मैंने तुममें पढ़ा है,

तो तुम आसानी से समझ लोगी 

यह बिना शब्दोंवाली कविता.




8 टिप्‍पणियां:

  1. कविता पढ़ने में कोई शर्त नहीं हो सकती, हर किसी के पास आज़ादी है, अंतिम पैरा के बीच की दो पंक्तियाँ न हों तो भी कविता आपने आप में पूर्ण है

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  2. वाह !अलग अंदाज में मनोभावों की सुंदर अभिव्यक्ति।

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  3. भावपूर्ण अभिव्यक्ति सर।
    सादर।
    ----
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना गुरुवार १२ अक्टूबर२०२३ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  4. बेहतरीन भावों की सुंदर अभिव्यक्ति वास्तव में कविता को पढ़ने से नहीं अनुभूत करने से ही उसके मर्म को समझा जा सकता है।इतनी सुन्दर रचना के लिए बधाई

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