बुधवार, 10 मार्च 2021

५४३. चुप्पी

मेरी बातें 

तुम्हें बुरी लगती हैं,

तो कहो.


बहस करो,

चीख़ो-चिल्लाओ,

झगड़ा करो,

पर चुप न रहो.


बहुत खलती है मुझे चुप्पी,

बड़ी डरावनी होती है यह,

रिश्तों के टूटने का ख़तरा 

बहुत ज़्यादा होता है चुप्पी में.


12 टिप्‍पणियां:

  1. वाकई में । जहाँ संवाद नहीं वहाँ रिश्ते जटिल हो जाते हैं ।

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  2. बहुत सुन्दर रचना।
    --
    महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  3. बहुत ही अच्छी कविता ।महाधिवृतरी पर्व पर आपको हार्दिक शुभकामनाएं

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  4. चुप्पी और मौन में फर्क बस इतना ही।
    बेहतरीन।
    नई रचना

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  5. बहुधा चुप्पी कर जाती है बहुत कुछ बयां - - सुन्दर सृजन।

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  6. चुप्पी कभी तो उचित होती है कभी घातक, बहुत ही सुंदर सृजन,सादर नमन आपको

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  7. सही कहा चुप्पी चुभती है। बहुत सुंदर सृजन।
    सादर

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  8. लाजवाब पंक्तियाँ !सुन्दर भावों से सजी शानदार कविता! बधाई!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है
    https://sanjaybhaskar.blogspot.com

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