शनिवार, 5 मार्च 2016

२०५. छोटी-सी ख़ुशी

ठंडी-ठंडी सुबहों में घुल गई है 
हल्की-सी गर्माहट,
जैसे किसी उदास चेहरे पर 
छा जाए थोड़ी-सी मुस्कराहट.
जैसे घुप्प अँधेरे में दिख जाए 
हल्की-सी किरण,
जैसे मनहूस ख़बरों के बीच 
आ जाए कोई शुभ समाचार.
जैसे उजाड़ बगीचे में
खिल जाए कोई खूबसूरत फूल,
जैसे सूखे पेड़ पर 
निकल आए कोई हरा पत्ता. 

छोटी-सी ख़ुशी जो ज़रूरत पर मिले 
बड़ी ख़ुशी से ज़्यादा अच्छी लगती है. 

7 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (06-03-2016) को "ख़्वाब और ख़याल-फागुन आया रे" (चर्चा अंक-2273) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. छोटी-सी ख़ुशी जो ज़रूरत पर मिले
    बड़ी ख़ुशी से ज़्यादा अच्छी लगती है....!

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  3. बहुत ही सुन्दर और बेहतरीन प्रस्तुति, महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें।

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  4. bahut sunder kavita..
    Mere blog ki new post par aapke vichaar ka swagat hai...

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  5. ये छोटी छोटी खुशियाँ हैं तभी तो जीवन है ... नहीं तो नीरसता घर कर लेती है ..

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