सोमवार, 23 जून 2025

812. युद्ध के समय आसमान




इन दिनों आसमान में 

नहीं दिखते बादल,

धुआँ दिखता है,

नहीं कड़कती बिजली,

बमों के धमाके होते हैं,

नहीं होतीं बौछारें,

मिसाइलें बरसती हैं ।


इन दिनों आसमान में 

नहीं उड़ते परिंदे,

लड़ाकू विमान दिखते हैं, 

ड्रोन उड़ते हैं। 


इन दिनों आसमान में 

न सितारे दिखते हैं, न चाँद, 

रह-रहकर कौंध जाती हैं 

प्रकाश की कटारें। 


बहुत दिनों से आसमान में 

नहीं दिखा सूरज,

शायद हमारी तरह वह भी 

बहुत डरता है युद्ध से। 


7 टिप्‍पणियां:

  1. सच में अपनी किस धुन में आकर मानव दानव बना जा रहा है , उसे इसका कुछ पता ही नहीं ... अपना सबकुछ तो वह खो रहा फिर भी न जाने कौन सा अंहकार पाले बैठा है कि खुद के विनाश को भी स्पष्ट नहीं देख पा रहा है । इसका अंत भी है कि नहीं ?

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  2. नहीं दिखा सूरज शायद
    बहुत डरता है युद्ध से।
    गहन चिन्तन
    सादर

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  3. युद्ध किसी समस्या का हल नहीं, पर कभी-कभी आवश्यक हो जाते हैं युद्ध भी शायद

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  4. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 26 जून 2025 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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