उस दिन तेज़ तूफ़ान आया,
ज़ोर की आंधियां चलीं,
धुआंधार बारिश हुई,
धराशाई हो गए विशालकाय पेड़,
टेढ़े-मेढ़े हो गए बिजली के खम्भे.
गिर गईं बहुत-सी झोपड़ियाँ,
ढह गए कच्चे मकान,
पक्के मकानों ने भी सहा
ख़ूब सारा नुकसान.
इस भीषण तबाही में भी
बच गई सही-सलामत
धरती की गोद में छिपी
नन्ही, कमज़ोर-सी दूब.
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (18-10-2020) को "शारदेय नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएँ" (चर्चा अंक-3858) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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यही तो जीवन की सीख है. बहुत सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंअत्यंत सुन्दर और प्रेरक रचना ।
जवाब देंहटाएंइस भीषण तबाही में भी
जवाब देंहटाएंबच गई सही-सलामत
धरती की गोद में छिपी
नन्ही, कमज़ोर-सी दूब.
वाह!!!
प्रेरक