अब जब घर में हो,
तो बनाओ कुछ नए पुल,
मरम्मत करो उन पुराने पुलों की,
जिनमें दरारें आ गई हैं,
जो टूटने की कगार पर हैं.
***
अब जब घर में हो,
तो ध्यान से देखना,
वे काम कैसे पूरे होते हैं,
जिनके बारे में तुम सोचते थे
कि अपने आप हो जाते हैं.
***
अब जब घर में हो,
तो अपने अन्दर देखना,
तुम हैरान रह जाओगे,
जब वहां तुम्हारी मुलाकात
एक अजनबी से होगी.
वाह !बेहतरीन सृजन सर 👌
जवाब देंहटाएंगहन चिन्तन के साथ अत्यंत सुन्दर सृजन ।
जवाब देंहटाएंअब जब घर में हो,
जवाब देंहटाएंतो अपने अन्दर देखना,
तुम हैरान रह जाओगे,
जब वहां तुम्हारी मुलाकात
एक अजनबी से होगी.......लाज़वाब।
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जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (20-04-2020) को 'सबके मन को भाते आम' (चर्चा अंक-3677) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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रवीन्द्र सिंह यादव
गज़ब. जिन बातों को कभी समझा नहीं गया, कोरोनाकाल ने खूब समझाया.
जवाब देंहटाएंवाह अनुपम सृजन
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