शनिवार, 25 जुलाई 2015

१७७. सितारा


मैंने चाहा कि वह सितारा 
जो धीरे-धीरे बुझ रहा था,
उसे नई ज़िन्दगी दे दूँ,
फिर से प्रज्वलित कर दूँ। 

मैंने चाहा कि किसी तरह 
आसमान तक पहुँचू ,
उसे कहूँ कि तुम अकेले नहीं,
मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ. 

पर सितारे को यह मंज़ूर नहीं था,
उसे लगा कि मैं ज़मीन पर हूँ 
और वह ऊपर आसमान में,
मेरा और उसका क्या मेल. 

सितारे को मंज़ूर नहीं था 
मुझसे मदद लेना, 
उसे मंज़ूर नहीं था 
मेरा हाथ थामना,
उसे बुझना मंज़ूर था. 

शनिवार, 11 जुलाई 2015

१७६. माँ

वह नहीं कर सकती 
अंग्रेज़ी में गिटपिट,
खा नहीं सकती 
कांटे-चम्मच से खाना,
नहीं कोई उसको 
पश्चिमी संगीत की समझ,
अंजान है वह अंग्रेज़ी फ़िल्मों से.

नहीं आता उसे 
एस.एम.एस.करना,
अकाउंट नहीं उसका 
फ़ेसबुक-ट्विटर पर,
व्हाट्स एप के बारे में 
कुछ नहीं सुना उसने.

सलीका नहीं है उसे 
बातचीत करने का,
जीवन जीने का,
कर सकती है तुम्हें 
शर्मिंदा कभी भी.

तुम चाहो तो दूर रखो उसे,
परिचय मत दो उसका,
मत कहो किसी से 
कि वह तुम्हारी माँ है,
पर कोई नहीं कह सकता 
कि वह नहीं जानती 
प्यार करना, ममता लुटाना,
ऐसा हो ही नहीं सकता,
क्योंकि वह जैसी भी है,
माँ है.

शुक्रवार, 3 जुलाई 2015

१७५.भगीरथ से



भगीरथ, तुम जो गंगा यहाँ लाए थे,
अब वह पहले-सी नहीं रही,
बुरा हाल कर दिया है हमने उसका,
घरों,बाज़ारों और कारखानों की 
गंदगी भर दी है उसमें,
नाले जैसा बना दिया है उसको.

अब तुम्हारी गंगा हांफ रही है,
हमारी ज़्यादतियों से कांप रही है,
थकी-थकी सी, रुकी-रुकी सी 
लड़खड़ाकर सागर तक जा रही है.

भगीरथ,
तुमने जो उपहार हमें दिया था,
हम उसे संभाल नहीं सके,
हमने उसे मार-मार कर ज़िन्दा रखा,
हम उसके लायक ही नहीं थे.

तुमसे विनती है 
कि तुम अपनी गंगा वहीँ ले जाओ,
जहाँ से उसे लाए थे,
वहां उसे साफ़ रखना, खुश रखना.

अब फिर कभी उसे 
किसी ग्रह या उपग्रह पर ले जाओ, 
तो पूरी पड़ताल कर लेना,
कहीं ऐसा न हो 
कि वहां भी तुम्हारी गंगा के साथ 
वैसा ही सलूक किया जाय 
जैसा हमने पृथ्वी पर किया था.