जब आकाश में बादल छाए,
लगा कि तुम रूठ गई,
फिर अचानक बिजली चमकी,
जैसे एक झलक मिली
और फिर तुम गायब.
जब बादल जोर से टकराए,
लगा, मेरी किसी बात पर
तुम्हें गुस्सा आ गया.
कभी-कभार का तुम्हारा थोड़ा सा प्यार,
जैसे अचानक बूंदा-बांदी हुई
और बस...
सूख रही हैं उम्मीदें,
अब तो तरस खाओ,
मेरे छप्पर पर एक बार
जम के बरस जाओ.
लगा कि तुम रूठ गई,
फिर अचानक बिजली चमकी,
जैसे एक झलक मिली
और फिर तुम गायब.
जब बादल जोर से टकराए,
लगा, मेरी किसी बात पर
तुम्हें गुस्सा आ गया.
कभी-कभार का तुम्हारा थोड़ा सा प्यार,
जैसे अचानक बूंदा-बांदी हुई
और बस...
सूख रही हैं उम्मीदें,
अब तो तरस खाओ,
मेरे छप्पर पर एक बार
जम के बरस जाओ.
बहुत सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंमन के भावो की कोमल अभिव्यक्ति...
:-)
waah ..kya baat ..bahoot badhiya sir,,koi mujhe plz ye btaye ki kaise hindi mai comment karte hain..
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना ....बधाई
जवाब देंहटाएंकोमलता से कही मन की बात ॥
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें ...
waah....
जवाब देंहटाएंbahut khoobsoorat...
tum barso aur indradhanush khilga mere aakaash mei...
saadar
anu
बहुत सुन्दर और भावमयी...
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