मैं कोरोना नहीं हूँ
कि तुम मास्क लगा लो
और दूर कर दो मुझे,
मास्क लगाकर तो तुमसे
इन्कार भी नहीं होता.
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यूँ परेशान मत होओ,
हाथ-पाँव मत मारो,
कोई असर नहीं होगा
रेमडेसिविर,प्लाज़्मा का,
मैं कोरोना नहीं हूँ,
एक बार घुस गया,
तो निकलता नहीं हूँ.
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वैसे तो हज़ारों हैं यहाँ,
पर तुम नहीं, तो कोई नहीं,
मैं कोरोना नहीं हूँ
कि किसी का भी हो जाऊँ।
वाह।
जवाब देंहटाएंवाह सुन्दर भाव!
जवाब देंहटाएंवाह!बहुत ही सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंसादर
वाह ! बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब...,सादर नमन
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत खूब
जवाब देंहटाएंगागर में सागर।
वाह बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंwow!! Just Wow! Kitna achha likha hai!
जवाब देंहटाएंबहुत मज़ेदार प्रेम कविताएँ. प्रेम, प्रेम है कोरोना नहीं जो वैक्सीन से डर जाए या किसी का भी हो जाए. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति. बधाई.
जवाब देंहटाएंक्या बात , बहुत खूब
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