tag:blogger.com,1999:blog-1530122929420485531.post5373995166052802116..comments2024-03-27T22:49:14.200-07:00Comments on कविताएँ : ५५०. तिनकाOnkarhttp://www.blogger.com/profile/15549012098621516316noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-1530122929420485531.post-12793349299898389692021-04-11T00:26:36.177-07:002021-04-11T00:26:36.177-07:00वाह, बहुत सुंदर और कोमल भाव लिए गूढ़ कविता ।वाह, बहुत सुंदर और कोमल भाव लिए गूढ़ कविता ।जिज्ञासा सिंह https://www.blogger.com/profile/06905951423948544597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1530122929420485531.post-29163677886630073932021-04-06T03:06:11.160-07:002021-04-06T03:06:11.160-07:00ओह कितना गहन दर्शन है आपकी पंक्तियों में सुंदर यथा...ओह कितना गहन दर्शन है आपकी पंक्तियों में सुंदर यथार्थवादी सृजन।मन की वीणाhttps://www.blogger.com/profile/10373690736069899300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1530122929420485531.post-34994114031750267762021-04-05T21:07:16.585-07:002021-04-05T21:07:16.585-07:00बहुत अच्छी कविता । निस्संदेह !बहुत अच्छी कविता । निस्संदेह !जितेन्द्र माथुरhttps://www.blogger.com/profile/15539997661147926371noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1530122929420485531.post-46359982526421355852021-04-05T05:56:41.516-07:002021-04-05T05:56:41.516-07:00यथार्थ को दर्शाता हुआ बहुत सुंदर रचनायथार्थ को दर्शाता हुआ बहुत सुंदर रचनाBharti Dashttps://www.blogger.com/profile/04896714022745650542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1530122929420485531.post-79242531345131923822021-04-05T03:48:03.603-07:002021-04-05T03:48:03.603-07:00बहुत खूब लिखा ओंकार जी...अब जब रुक गया हूँ,
ज़मीन...बहुत खूब लिखा ओंकार जी...अब जब रुक गया हूँ,<br /><br />ज़मीन पर गिरा हूँ,<br /><br />तब समझ में आया है <br /><br />कि मैं उड़ रहा था<br /><br />हवाओं के सहारे,..मनको छूती रचना..अद्भुत Alaknanda Singhhttps://www.blogger.com/profile/15279923300617808324noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1530122929420485531.post-85598723001773252512021-04-05T03:36:24.920-07:002021-04-05T03:36:24.920-07:00बहुत ही सुंदर है, हार्दिक बधाई हो नमनबहुत ही सुंदर है, हार्दिक बधाई हो नमनज्योति सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14092900119898490662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1530122929420485531.post-62473289758947798652021-04-04T19:25:39.596-07:002021-04-04T19:25:39.596-07:00बहुत सुन्दर् और सशक्त रचना।बहुत सुन्दर् और सशक्त रचना।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1530122929420485531.post-30269413341983107742021-04-04T10:02:25.357-07:002021-04-04T10:02:25.357-07:00मैं एक तिनका हूँ,
उड़ा जा रहा हूँ,
लम्बी यात्राएँ ...मैं एक तिनका हूँ,<br />उड़ा जा रहा हूँ,<br /><br />लम्बी यात्राएँ तय की हैं मैंने,<br /><br />न जाने कहाँ-कहाँ होकर <br /><br />यहाँ तक पहुंचा हूँ मैं...बहुत ही सुंदर सृजन सर।<br />सादर अनीता सैनी https://www.blogger.com/profile/04334112582599222981noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1530122929420485531.post-19674561085396130862021-04-04T08:25:37.323-07:002021-04-04T08:25:37.323-07:00नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार...नमस्ते,<br />आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार ( 05-04 -2021 ) को <a href="https://charchamanch.blogspot.com/" rel="nofollow"> 'गिरना ज़रूरी नहीं,सोचें सभी' (चर्चा अंक-4027) </a> पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है। <br /><br />चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें। <br /><br />यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके। <br /><br />हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।<br /><br />#रवीन्द्र_सिंह_यादवRavindra Singh Yadavhttps://www.blogger.com/profile/09309044106243089225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1530122929420485531.post-88411930616472190962021-04-04T00:19:21.788-07:002021-04-04T00:19:21.788-07:00अब जब रुक गया हूँ,
ज़मीन पर गिरा हूँ,
तब समझ में आ...अब जब रुक गया हूँ,<br /><br />ज़मीन पर गिरा हूँ,<br />तब समझ में आया है <br />कि मैं उड़ रहा था<br />हवाओं के सहारे,<br />सारगर्भित संदेश समेटे यथार्थ दर्शाती रचना ।Meena Bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/02274705071687706797noreply@blogger.com