top hindi blogs

गुरुवार, 20 जनवरी 2022

६३४.समीक्षा




मैंने जो सैकड़ों कविताएँ लिखी हैं,

उनकी समीक्षा होनी चाहिए. 


एक-एक कविता को अब 

ध्यान से पढ़ा जाना चाहिए,

उसमें खोजा जाना चाहिए 

चिलचिलाती गर्मी में 

अपने खेत में काम करता 

पसीने से लथपथ कोई किसान,

सिर पर ईंट-गारा उठाए 

नई बनती किसी इमारत में 

बल्लियों के सहारे 

ऊपर चढ़ता कोई मज़दूर,

न्याय के लिए अदालतों के 

धक्के खाता कोई आम आदमी. 


ज़रूरी है कि मेरी कविताओं में 

खोजी जाय वह गृहिणी,

जो दिन-रात तिरस्कृत होकर भी 

लगी रहती है काम में,

खोजी जाय वह युवती 

जिसका दिन-दहाड़े 

बलात्कार हो गया था. 


ज़रूरी है कि खोजा जाय 

वह लाचार बाप,

जिसका इकलौता बच्चा 

दवा के इंतज़ार में झूल रहा हो 

ज़िन्दगी और मौत के बीच. 


मेरी जिन कविताओं में 

ऐसा कोई व्यक्ति न मिले,

वे कितनी ही अच्छी 

क्यों न लिखी गई हों,

उन्हें बेरहमी से फाड़कर 

कूड़े के ढेर में फेंक दिया जाय. 

 


23 टिप्‍पणियां:

  1. मेरी जिन कविताओं में
    ऐसा कोई व्यक्ति न मिले,
    वे कितनी ही अच्छी
    क्यों न लिखी गई हों,
    उन्हें बेरहमी से फाड़कर
    कूड़े के ढेर में फेंक दिया जाय.
    हृदयस्पर्शी और प्रेरक सृजन ।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत बढ़िया कविवर!!
    संवेदनहीन सृजन किस काम का!!

    जवाब देंहटाएं
  3. सामाजिक चेतना के लिए ज़रूरी है कि लेखकों के लेखन में आग होनी चाहिए । बहुत खूब ।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर भावों को व्यक्त करती है आपकी रचना, समाज में हो रहे अन्याय और असमानता को बार-बार व्यक्त करना और मज़दूरों, दलितों, स्त्रियों के दुखों को महसूस करके उनके लिए आवाज़ उठाना सच्चा कवि कर्म है

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर ! हमारी कुत्सित सामाजिक व्यवस्था, भ्रष्ट शासन व्यवस्था और दयनीय स्वास्थ्य-व्यवस्था पर एक साथ करारे प्रहार !

    जवाब देंहटाएं
  6. कविता और कवि धर्म पर बहुत सटीक अभिव्यक्ति।

    वे कितनी ही अच्छी

    क्यों न लिखी गई हों,

    उन्हें बेरहमी से फाड़कर

    कूड़े के ढेर में फेंक दिया जाय।

    कवियों पर सामाजिक दायित्व बढ़ जाता है।
    साधुवाद।

    जवाब देंहटाएं
  7. एक-एक कविता को अब
    ध्यान से पढ़ा जाना चाहिए,
    उसमें खोजा जाना चाहिए
    तलाश जारी है
    आभार..

    जवाब देंहटाएं
  8. सही कहा कवि को अपनी कविताओं में समाजिक
    समसामयिकी को सत्यता से चित्रित करना होगा ताकि आज के सत्य पर सभी की नजर पड़े।
    बहुत ही लाजवाब सृजन।

    जवाब देंहटाएं
  9. बिल्कुल सही बात। कविता जिंदगी और समाज का मर्म होती है।

    जवाब देंहटाएं
  10. कुछ दर्द तो झलकना चाहिये. सुंदर

    जवाब देंहटाएं