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शुक्रवार, 14 मई 2021

५६६. कोरोना में प्रेम कविताएं



तुम मुझसे दूर रहती हो,

जैसे मैं कोरोना होऊं,

पर मैं तुम्हारे अंदर हूँ.

तुम्हें पता नहीं है,

क्योंकि कोई सिम्प्टम नहीं है. 

**

मैं क़रीब आया हूँ,

तो हमेशा के लिए,

कोई कोरोना नहीं हूँ 

कि कुछ दिन रहूँ,

फिर चला जाऊं. 

**

मैंने जान ली है

तुम्हारी नज़रों से  

तुम्हारे मन की बात,

अगर छिपाना ही है,

तो नाक-मुँह ही नहीं, 

आँखों पर भी लगा लो मास्क. 

**

मैं कोरोना नहीं हूँ

कि टीके से चला जाऊँ,

मुझे दूर करना है,

तो दिल से कहो 

कि चले जाओ. 


 

13 टिप्‍पणियां:

  1. मैं कोरोना नहीं हूँ

    कि टीके से चला जाऊँ...
    प्रेम की ख़ासियत यही है एक बार आया तो आजन्म रहता है 

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 16 मई 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. मैं क़रीब आया हूँ,

    तो हमेशा के लिए,

    कोई कोरोना नहीं हूँ

    कि कुछ दिन रहूँ,

    फिर चला जाऊं. आज की सच्चाई बयां करती सुन्दर भावपूर्ण कृति,

    जवाब देंहटाएं
  4. मैंने जान ली है

    तुम्हारी आँखों से

    तुम्हारे मन की बात,

    अगर छिपाना ही है,

    तो सिर्फ़ नाक तक नहीं,

    पूरे चेहरे पर लगाओ मास्क.---वाह...बहुत खूब।

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  5. कोरोना के माध्यम से भी प्रेम कविता हो सकती है , ये आप ही कर सकते हैं । सुंदर क्षणिकाएँ ।

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  6. बहुत सुंदर समसामय‍िक कव‍िता.... वाह बहुत खूब ल‍िखा ओंकार जी

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  7. मैंने जान ली है

    तुम्हारी नज़रों से

    तुम्हारे मन की बात,

    अगर छिपाना ही है,

    तो नाक-मुँह ही नहीं,

    आँखों पर भी लगा लो मास्क
    yathart sachai, har ek bandh apne aap mein swatantra paigam deta hai

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  8. सच में वो शै है जो छुड़ाते न छूटे।
    सुंदर सृजन।
    सादर।

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  9. This is really fantastic website list and I have bookmark you site to come again and again. Please read mine as well. birthday countdown quotes

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  10. कोरोना टीका लगने पर भी कहाँ साथ छोड़ रहा है

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