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शनिवार, 21 मार्च 2020

४१२. बेटियां

Adult, Mother, Daughter, Beach, Kids

कच्ची कैरी-सी,
इमली-सी,
गोलगप्पे के चटपटे पानी-सी,
दोने में रखी झालमुड़ी-सी,
झाड़ियों में लगे 
खट्टे-मीठे बेर-सी,
पेड़ पर पड़े झूले-सी,
पत्तों में फुदकती चिड़िया-सी,
फूलों में उडती तितली-सी,
बारिश की फुहार-सी,
जाड़ों की धूप-सी,
बस ऐसी ही होती हैं बेटियां. 

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (23-03-2020) को    "घोर संक्रमित काल"   ( चर्चा अंक -3649)      पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    आप अपने घर में रहें। शासन के निर्देशों का पालन करें।हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  

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  2. बेटियाँ वास्तव में जिन्दगी की रौनक हैं , बहुत सुन्दर
    भावाभिव्यक्ति ।

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  3. वाह शानदार ,झालमुड़ी गजब उपमा रस से सराबोर।
    बहुत सुंदर।

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  4. बहुत लाजवाब ...
    बेटियाँ सच में ताजा फुहार हैं घर की ...
    लाजवाब रचना ...

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